जेल से भागने की फिराक में है भटकल!

July 04, 2015 | 10:42 AM | 1 Views
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इंडियन मुजाहिदीन का पूर्व सरगना और खतरनाक आतंकी यासीन भटकल आईएस की मदद से हैदराबाद जेल से भागने की योजना बना रहा है।एक अखबार के मुताबिक ये सनसनीखेज खुलासा एक फोन कॉल से हुआ है।जेल से हुई इस बातचीत को जब इंटरसेप्ट किया गया तो ये खुलासा हुआ कि यासीन भटकल जेल से भागने की फिराक में है।दरअसल यासीन ने जेल से अपनी पत्नी को फोन कर ये बात कही कि वो जेल से फरार हो जाएगा और इस काम में उसकी मदद दुनिया का सबसे खूखांर आतंकी संगठन आईएस कर रहा है।यासीन भटकल की अपनी पत्नी से हुई 5 मिनट की इस बातचीत से उसके मंसूबों का खुलासा हुआ।इस ख्ुालासा के बाद सुरक्षा एजेंसियों के हाथ-पांव फूल गए।बातचीत में भटकल अपनी पत्नी जाहिदा से कह रहा था कि दमिश्क से लोग मदद कर रहे हैं और मैं जल्द हैदराबाद से रिहा हो जाऊंगा। दमिश्क सीरिया की राजधानी है जिसके अधिकांश हिस्सों पर आईएसआईएस का कब्जा है।पता लगा है कि भटकल ने करीब 10 कॉल अपनी बीवी जाहिदा को किए थे।जाहिदा दिल्ली के जामिया नगर इलाके में रहती है।यासीन भटकल का असली नाम मोहम्मद जर्रार अहमद है।वह कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से 400 किलोमीटर दूर भटकल गांव का रहने वाला है।भटकल ने 2007 में 6 लोगों के साथ मिलकर इंडियन मुजाहिदीन संगठन बनाया।आईएम ने 2010 में पुणे के जर्मन बेकरी में बम धमाका किया जिसमें 17 लोगों की मौत हो गई थी। भटकल भेष बदल कर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने या निकल भागने में माहिर है।यासीन भटकल को 2008 में कोलकाता पुलिस ने नकली नोटों के एक मामले में हिरासत में लिया था एक महीने जेल में रहने के बाद उसे जमानत मिल गई थी।उस वक्त पुलिस को पता नहीं था कि भटकल ही इंडियन मुजाहिदीन का मास्टरमाइंड है।नवंबर 2011 में भी भटकल चेन्नई में खुफिया अधिकारियों को चकमा देकर भाग निकला था।भटकल को भारत-नेपाल सीमा से बिहार पुलिस ने एनआईए की टीम और कर्नाटक पुलिस के साथ मिलकर गिरफ्तार किया।भटकल के खिलाफ दायर आरोप पत्रों के मुताबिक वो 2008 के बाद हुए हुए कम से कम 10 बम धमाकों का मास्टरमाइंड रहा है।ये बम धमाके 2008 में अहमदाबाद, सूरत, जयपुर, दिल्ली में किए गए।2010 में बनारस के दशाश्वमेध घाट, बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम, पुणे के जर्मन बेकरी, 2011 में मुंबई, 2013 में हैदराबाद, और बेंगलुरु में धमाके हुए थे।हाल में गया के महाबोधी में सीरियल ब्लास्ट में भी भटकल पर ही संदेह जताया गया था।

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